क्षमा कर देना केवल बड़प्पन का ही काम नहीं, इससे हमारे मन को भी सुकून मिलता है। एक तरह से यह बिल्कुल किसी चिकित्सकीय थैरेपी की भांति प्रक्रिया होती है। तो बस एक बार अपनायें, फाॅरगिवनेस थैरेपी और महसूस कीजिए इसका कमाल। कई बार मनुष्य के जीवन में कुछ ऐसे वाकये होते हैं, जो दिमाग में गहरे बैठ ज
’तुम्हारी पेंटिंग बिकेगी कि नहीं ?’ तब वह अपने मन को क्या कहे ? ’अभी चुप बैठ! पहले पेंटिंग बन जाये, जब बेचने जायेंगे तब बेचने का काम करेंगे, अभी बनाने का काम कर रहे हैं तो बनायेंगे। जब जो काम होगा तब वह करेंगे।’इस तरह दुःख के कारणों की समझ पाकर आप वर्तमान में रहना सीख जाये
हर इंसान अपनी अलग और सही पहचान बनाना चाहता है। वह सही लक्ष्य और सही मंजिल हासिल करना चाहता है। अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए हमें पहले अपने शरीर को, जो इस लक्ष्य में निमित्त बनने वाला है, निरोगी रखना होगा। स्वयं को निरोगी रखने के लिए सफाई बहुत ही आवश्यक है क्योंकि निसर्गोपचार में कहते ह
हम आर्थिक रूप से सफल होना चाहते हैं, तो समृद्धि के विचारों को बहुतायत से मनोमन्दिर में प्रविष्ट होने दीजिये। यह मत समझिये कि हमारा सरोकार दरिद्रता, क्षुद्रता, नीचता से है। संसार में यदि कोई चीज सबसे निकृष्ट है तो वह विचार-दारिद्रय ही है। जिस मनुष्य के विचारों में दरिद्रता प्रविष्ट हो जाती है, वह
मेरी प्यारी माँ, मैं खुश हूँ और भगवान् से प्रार्थना करती हूं कि आप भी सुखी रहें। यह पत्र मैं इसलिये लिख रही हूं क्योंकि मैंने एक सनसनीखेज खबर सुनी है, जिसे सुनकर मैं सिर से पांव तक कांप उठी। स्नेहदात्री माँ! आपको मेरे कन्या होने का पता चल गया है और मुझ मासूम को जन्म लेने
चारों तरफ चहल-पहल, कोई इधर दौड़ रहा है-कोई उधर। हर्षोल्लास के वातारवण में दुल्हे राजा अपने इष्ट मित्रों के साथ पाणिग्रहण संस्कार के बने हए मण्डप की तरफ आये। पण्डित जी ने पाणिग्रहण संस्कार कराने प्रारंभ किये। इन सारे विधि विधान के बीच पंडित जी ने दुल्हे को दादा जी व पड़दादा जी का नाम पूछा? दादा जी
जो तैरना जानता है, वही दूसरों को डूबने से बचा सकता है। जिसकी खुद की आँखों पर गलत धारणाओं की पट्टी बँधी हो, वह किसी दूसरे की पट्टी कैसे देख सकता है या खोल सकता है ? एक उदाहरण से हम इस बात को ज्यादा अच्छी तरह से समझ सकते हैं। एक लकड़हारा आँखों पर पट्टी बाँधकर बड़ी मेहनत और लगन से दिन भर लकडि
प्रकाश की गति से भी तेज है मन की गति। मन की क्षमता तथा शक्ति हमारे तन की शक्ति से भी कई गुना बढ़ कर है। इसलिये तो कहा जाता है कि मन के हारे हार है, मन के जीते जीत ये मन ही मनुष्य को मानव बनाता है। यही दानव बनाने की शक्ति भी रखता है। मन ही जीवन को स्वर्ग या न
जिसे आत्मसुझाव द्वारा विकसित किया जा सकता है युगों-युगों से धर्मावलंबी संघर्षरत मानवता को यह संदेश देते रहे हैं कि उन्हें इस या उस धार्मिक सिद्धांत में “आस्था रखनी” चाहिए, परंतु वे लोगों को यह बताने में असफल रहे हैं कि आस्था को किस तरह से पैदा किया जाए। उन्होंने यह नहीं बताया क
योग समस्त संसार को जोड़ने का काम करता है। इसीलिए समस्त संसार के लोग एक साथ एक समय में योग करते है, और कर रहे है। इसी से योग को जोड़ना कहते है। योग स्वास्थ्य, सुख, शान्ति, समृद्धि, आनन्द, चैन, आरोग्य, वैभव प्रदान करने वाला है। और योग वह पद्धति है जिसके द्वारा शारीरिक मानसिक आध्यात्मिक, तीनों से व्