Posted on 14-Jul-2016 12:12 PM
गायत्री के चौबीस अक्षर हैं । गायत्री महामंत्र में अक्षरों की गणना इस प्रकार की जाती है-
तदादिवर्णगानर्धान् वर्णानगण्यस्तु तान् ।
“ण्यं” वर्णस्य च द्वौ भागौ ’’णि ’’यं” कर्तु च छान्दसे।।
इयादिपूरणे सूत्रे ध्वनिभेंदतया पुनः ।
चतुर्विशतिरेवं च वर्णा मंत्रे भवन्त्यतः।।
अर्थात- गणना में ‘‘तत “आदि वर्णों में अर्धाक्षरों को नगण्य मानकर, उन्हें एक ही अक्षर गिना जाता है । ऐसी स्थिति में ध्वनि भेद के आधार पर छन्दः प्रयोग में ‘‘इयादि पूरणे” सूत्रानुसार ‘‘ण्यं “वर्ण को ‘‘णि” और ‘‘यं” इन दो भागों में बाँट लिया जाता है । इस प्रकार चौबीस की संख्या पूरी हो जाती हैं-
1-तत, 2-स, 3-वि, 4-तु, 5-र्व, 6-रे, 7-णि, 8-यं, 9-भ, 10-र्गो, 11-दे, 12-व, 13-स्य, 14-धी, 15-म, 16-हि, 17-धि, 18-यो, 19-यो, 20-नः, 21-प्र, 22-चो, 23-द, 24-यात् ।