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सूर्य पूजा-साधना के नियम
Posted on 15-Jan-2016 02:27 PM
साधक कोई भी साधना करे, उसे प्रातः उठ कर सर्वप्रथम सूर्य नमस्कार करना तो आवश्यक ही है।
सूर्योदय होने से पूर्व ही साधक नित्य क्रिया से निवृत होकर, स्नान कर, शुद्ध वस्त्र अवश्य धारण कर ले।
सूर्य की मूल पूजा उगते हुए सूर्य की पूजा ही है, और यही फलकारक है, अतः सूर्योदय के पश्चात पूजन से कोई प्रयोजन सिद्ध ही नहीं होता।
सूर्य को लाल कनेर पुष्प विशेष प्रिय हैं, अतः साधक यही पुष्प सूर्य को अर्पित करे।
सूर्य देव को सूर्योदय के समय पुष्पों के साथ ताम्रपात्र से तीन बार अध्र्य देकर प्रणाम करना चाहिए।
रोग तथा निर्बलता से पीडि़त सूर्य-उपासक को रविवार के दिन नमक व तेल रहित भोजन केवल एक समय ग्रहण करना चाहिए।
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