Posted on 02-Aug-2016 11:31 AM
सफलता का आध्यात्मिक नियम “अनासक्ति का नियम” है। इस नियम के अनुसार व्यक्ति को भौतिक संसार में कुछ भी प्राप्त करने के लिए वस्तुओं के प्रति मोह त्यागना होगा। लेकिन इसका मतलब यह भी नहीं है कि वह अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए अपने उद्देश्यों को ही छोड़ दे। उसे केवल परिणाम के प्रति मोह को त्यागना है। व्यक्ति जैसे ही परिणाम के प्रति मोह छोड़ देता है। उसी समय वह अपने एकमात्र उद्देश्य को अनासक्ति से जोड़ लेता है। तब वह जो कुछ भी चाहता है, उसे स्वयमेव मिल जाता है। अनासक्ति के नियम का पालन करने के लिए निम्न बातों पर ध्यान देना होगा, आज मैं अनासक्त रहने का वायदा करता हूँ। मैं स्वयं को तथा आसपास के लोगों को पूर्ण रूप से स्वतंत्र रहने की आजादी दूँगा। चीजों को कैसा होना चाहिए, इस विषय पर भी अपनी राय किसी पर थोपूंगा नहीं। मैं जबरदस्ती समस्याओं के समाधान खोजकर नयी समस्याओं को जन्म नहीं दूँगा। मैं चीजों को अनासक्त भाव से लूँगा। सब कुछ जितना अनिश्चित होगा। मैं उतना ही अधिक सुरक्षित महसूस करूँगा क्योंकि अनिश्चितता ही मेरे लिए स्वतंत्रता का मार्ग सिद्ध होगी। अनिश्चितता को समझते हुए मैं अपनी सुरक्षा की खोज करूँगा।