Posted on 11-Jul-2016 11:28 AM
निःसंदेह अपने आत्म रुप का चिंतन, जीवन लक्ष्य पर विचार, आदर्श का सुमरण-वरण इसके अनिवार्य सोपान हैं। इसके लिए अभीप्सु ध्यान के लिए कुछ समय अवश्य निकालता है। अपने अचेतन मन को सचेतन करने की प्रक्रिया को अपने ढंग से अंजाम देता है। आत्म तत्व का चिंतन उसे परम तत्व की ओर प्रवृत करता है और ईश्वरीय आस्था जीवन का सबल आधार बनती है।