Posted on 14-Jul-2016 11:57 AM
संत ज्ञानेश्वर एक बाग के पास से गुजर रहे थे, माली को पौधों को पानी देते देखकर वे अपने शिष्यों से बोले -’’क्या तुम लोग इस पानी की विशेषता जानते हो ?’’ शिष्यों ने अपनी अनभिज्ञता जाहिर कीं संत ज्ञानेश्वर बोले -’’ये पानी अपनी इच्छा के बगैर काम करता है। माली इसको पौधे पर डाल देता है, वहाँ जाता है, माली जिधर बहाता है, उधर बहता है। हमें अपना जीवन पानी की तरह बना लेना चाहिए। अपनी सब कामनाओं, आकांक्षाओं व समस्याओं को मालीरूपी भगवान के हाथों सौंप देने में अलग ही आनंद है।’’ शिष्यों को उनके कथन का गूढ ़मर्म समझ में आ गया।