Posted on 31-May-2016 12:21 PM
जब भी हम कोई शुभ कार्य आरंभ करते हैं, तो कहा जाता है कि कार्य का श्री गणेश हो गया। इसी से भगवान श्री गणेश की महत्ता का अंदाजा लगाया जा सकता है। जीवन के हर क्षेत्र में गणपति विराजमान हैं। पूजा-पाठ, विधि-विधान, हर मांगलिक- वैदिक कार्यों को प्रारंभ करते समय सर्वप्रथम गणपति का सुमिरन करते हैं। श्री गणेश जी की पूजा प्रत्येक शुभकार्य करने के पूर्व श्री गणेशायनमः का उच्चारण किया जाता है। क्योंकि गणेश जी की आराधना हर प्रकार के विघ्नों के निवारण करने के लिए किया जाता है। क्योंकि गणेश जी विघ्नेश्वर हैंः- विवाह की एवं गृह प्रवेश जैसी समस्त विधियों के प्रारंभ में गणेश पूजन किया जाता है। पत्र अथवा अन्य कुछ लिखते समय सर्वप्रथम श्री गणेशाय नमः, श्री सरस्वत्यै नमः ,श्री गुरुभ्यो नमः ऐसा लिखने की प्राचीन पद्धति थी। ऐसा ही क्रम क्यों बना? किसी भी विषय का ज्ञान प्रथम बुद्धि द्वारा ही होता है व गणपति बुद्धि दाता हैं, इसलिए प्रथम श्री गणेशाय नमः लिखना चाहिए। वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटिसमप्रभ । निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा हिन्दू धर्म में भगवान श्री गणेश का अद्वितीय महत्व है। यह बुद्धि के अधिदेवता विघ्ननाशक है। ‘गणेश’ का अर्थ है- गणों का स्वामी। हमारे शरीर में पांच ज्ञानेन्द्रियां, पांच कर्मेन्द्रियां तथा चार अंतःकरण हैं तथा इनके पीछे जो शक्तियां हैं, उन्हीं को चौदह देवता कहते हैं।