‘स्वयं भगवान नारायण ने अर्जुन को जिसका उपदेश दिया था, प्राचीन मुनि व्यास ने जिसे महाभारत के बीच में संकलित, किया है, जो अद्वैतज्ञान का अमृत बरसाने वाली है तथा पुनर्जन्म का नाश करने वाली है, ऐसी अट्ठारह अध्यायों वाली है माँ भगवती गीता! मैं तेरा ध्यान करता हूँ।”
‘गीता सम्पूर्ण वेदमयी है, मनुस्मृति सर्वधर्ममयी है, गंगा सर्वतीर्थमयी है तथा भगवान विष्णु सर्वदेवमय हैं।”
‘यह प्रसिद्ध गीता-शास्त्र सम्पूर्ण वैदिक शिक्षाओं के तत्वार्थ का सार-संग्रह है। इसकी शिक्षओं का ज्ञान सब मानवीय महत्वाकांक्षाओं की सिद्धि कराने वाला है।”
‘गीता साक्षात् भगवान श्रीकृष्ण के मुखारविन्द से निकली हुई दिव्यवाणी है।”
भगवद्गीता एक अति प्राचीन धर्म-ग्रन्थ है। इस पुस्तक में सब सम्प्रदायों के साधकों की उन महत्वाकांक्षाओं को वाणी प्रदान की गई है जो परमात्मा के नगर की ओर आन्तरिक मार्ग से चलना चाहते हैं।”