Posted on 20-Apr-2015 02:51 PM
कटु-वचनों की धार से, बने जीभ तलवार।
अच्छा है चुप ही रहें,बना मौन आधार।।
भावार्थ - हमारे अपने कटु वचन ही हमारी जीभरूपी तलवार बन जाती है। इसलिए अच्छाई इसी में है कि हम चुप ही रहें, हमारा आधार मौन हो जाए। भलाई भी इसी में है और नीति भी यही कहती है।
अमृत वचन- कटु वचनों में जीभ तलवार की धार के समान हो जाती है।