कर्म का महत्त्व

Posted on 09-May-2015 12:41 PM




जो मेरे भाग्य में नहीं वो दुनिया की 
कोई भी शक्ति मुझे नहीं दे सकती। 
    और जो मेरे भाग्य में है, 
उसे दुनिया की कोई भी शक्ति मुझसे 
     छीन नहीं सकती। 
ईश्वरीय शक्ति असम्भव को 
     सम्भव बना सकती है। 
     अतः कर्म् ही ‘कामधेनु’ 
         एवं 
प्रार्थना ही ‘पारसमणि’ है। 


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