Posted on 28-Jun-2016 11:28 AM
पुन्य प्रीति पति प्रापतिउ परमारथ पथ पाँच।
ललहिं सुजन परिहरहिं खल सुनहु सिखावन साँच।।
तुलसीदास कहते हैं कि पूण्य, प्रेम, प्रतिष्ठा, प्राप्ति और परमार्थ का मार्ग-सज्जन पुरुष इन्हें ग्रहण करते हैं। इसके विपरीत दुर्जन मनुष्य इनका परित्याग कर देते हैं। इस सच्ची सीख को भली-भाँति समझ लो।