देखत स्यामल धवल हलोरे

Posted on 31-Jul-2016 12:22 PM




देखत स्यामल धवल हलोरे। पुलकि सरीर भरत कर जोरे।।

सकल कामप्रद तीरथ राऊ। बेद बिदित जग प्रगट प्रभाऊ।।

अर्थ:- श्याम और सफेद (यमुना जी और गंगाजी) लहरों को देखकर भरतजी का शरीर पुलकित हो उठा और उन्होंने हाथ जोड़कर कहा- हे तीर्थराज ! आप समस्त कामनाओं को पूर्ण करने वाले हैं। आपका प्रभाव वेदों में प्रसिद्ध और संसार में प्रकट है।


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