Posted on 10-Jan-2016 12:39 PM
भूलो सभी को तुम, मगर माँ-बाप को भूलो नहीं,
उपकार अगणित हंै, कभी इस बात को भूलो नहीं।
पत्थर कई पूजे, तुम्हारे जन्म की खातिर,
पत्थर बन माँ-बाप की छाती कभी कुचलो नहीं।
सुख का निवाला दे अरे, जिन्होने तुम्हें बड़ा किया,
अमृत दिया तुमको, जहर उनके लिए उगलो नहीं।
कितने लड़ाए लाड़, सब अरमान भी पूरे किये,
पूरे करो अरमान उनके, गर्व में झूलो नहीं।
लाखों कमाते हो भले, माँ-बाप से ज्यादा नहीं,
सेवा बिना सब राख है, मद में कभी फूलो नहीं।
संतान की सेवा मिले, संतान बन सेवा करो,
जैसा करो वैसा भरो, इस सत्य को भूलो नहीं।
जो स्वयं गीले में रहकर सुलाती थी तुम्हे सूखे में,
माँ की बरसती भावना को, तुम कभी कुचलो नहीं।
धन तो मिलेगा फिर मगर माँ-बाप क्या मिल पाएंगे,
उनके चरण की धूल लेना, तुम कभी भूलो नहीं।
पाकर आशीर्वाद माँ का तुम, जीवन सुखी बना लोगे,
चलकर पिता की पगडंडी, अर्थ मार्ग सुलभ हो भूलो नहीं।