आंखों पर पट्टी बांध पढ़ाया, बेटी ने छुआ आसमां

Posted on 11-Jun-2015 12:48 PM




रायपुर के एनएच गोयल स्कूल की हैं छात्रा यदि बच्चे के आगे कोई चुनौती हो और उसे माता-पिता का पूरा साथ मिले तो ऐसी चुनौतियां छोटी पड़ जाती हैं। सफलता कदम चूमती है। दरअसल, यह कहानी है फाफाडीह की एनएच गोयल स्कूल की नेत्रहीन छात्रा अपर्णा सचदेेव की। जिन्होंने सीबीएसई की 12वीं परीक्षा में 96.8 फीसदी अंक पाए हैं। इस सफलता के पीछे उनके पिता दिनेश सचदेव का बड़ा समर्पण छिपा है। बच्ची को पढ़ना सिखाने के लिए उन्होंने पहले खुद आंखों में पट्टी बांधकर उस अंधेरी दुनिया को महसूस किया, जिसमें उनकी बेटी शिक्षा के लिए संघर्ष कर रही थी। दरअसल, यह कहानी है फाफाडीह की एनएच गोयल स्कूल की नेत्रहीन छात्रा अपर्णा सचदेेव की। जिन्होंने सीबीएसई की 12वीं परीक्षा में 96.8 फीसदी अंक पाए हैं। इस सफलता के पीछे उनके पिता दिनेश सचदेव का बड़ा समर्पण छिपा है। बच्ची को पढ़ना सिखाने के लिए उन्होंने पहले खुद आंखों में पट्टी बांधकर उस अंधेरी दुनिया को महसूस किया, जिसमें उनकी बेटी शिक्षा के लिए संघर्ष कर रही थी। पीछे उनके पिता दिनेश सचदेव का बड़ा समर्पण छिपा है। बच्ची को पढ़ना सिखाने के लिए उन्होंने पहले खुद आंखों में पट्टी बांधकर उस अंधेरी दुनिया को महसूस किया, जिसमें उनकी बेटी शिक्षा के लिए संघर्ष कर रही थी।
खुद लिखना सिखाया
आठवीं तक ब्रेललिपि में पढ़ाई के बाद स्कूल मंें ब्रेललिपि के लिए एक्सपर्ट हीं नहीं मिले। बिटिया को आगे पढ़ाने के लिए हार नहीं मानी। इसी दौरान सीबीएसई ने सर्कुलर जारी कर नेत्रहीन बच्चों को वाॅइस कम्प्यूटर में पढ़ने और परीक्षा की छूट दी। फिर क्या था, उसके पिता दिनेश ने वाॅइस कम्प्यूटर घर लाकर खुद अपनी आंखों में पट्टी बांधकर लिखना सीखा।
स्कूलों ने मना किया
मां संगीता सचदेव बताती हैं कि जब अपर्णा पांच साल की थी तब एक स्कूल में दाखिला दिलाने की कोशिश की तो स्कूल ने मना कर दिया था। 
गिटार बजाने का शौक
अपर्णा गीत-संगीत में भी निपुण है। वह गिटार बहुत अच्छा बजाती है। वह आईएएस बनना चाहती है। वह नियमित दो घंटे पढ़ाई करती है।


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