Posted on 08-May-2015 12:32 PM
दो साल में एलवीएम-3 होगा आॅपरेशनल
अंतरिक्ष में नई उंचाइयों को छू रहा भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) भारी उपग्रहों के प्रक्षेपण में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए अत्याधुनिक भारी उपग्रह प्रक्षेपण यान एलवीएम-3 का प्रक्षेपण करेेगा। इस प्रक्षेपण यान के परिचालन में आने के बाद भारत भारी उपग्रहों के प्रक्षेपण में आत्मनिर्भर हो जाएगा। इसके साथ ही अरबों डाॅलर के वैश्विक अंतरिक्ष कारोबार में भारत की धाक भी बढ़ेगी, क्यांेकि भारत कई अन्य देशों के भारी उपग्रह भी भेज पाएगा।
खत्म होगी विदेशी उपग्रहों पर निर्भरता
इसरो के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार एलवीएम-3 का प्रक्षेपण वर्ष 2016 के अंत या वर्ष 2017 के शुरू में हो सकता है। यह प्रक्षेपण यान 4 टन वजनी जीसैट श्रंृखला के संचार उपग्रहों को पृथ्वी की भू-तुल्यकालिक, अंतरण कक्षा (जीटीओ) में स्थापित करने की क्षमता रखता है। पीएसएलवी अधिकतम 1,600 किलोग्राम वजनी उपग्रहों को पृृथ्वी की कक्षा में स्थापित करने की योग्यता रखता है। जीएसएलवी की सफलता से यह क्षमता बढ़कर 2 टन तक पहुंच गई। जिसे 4 टन पर पहुंचाने की तैयारी है।