Posted on 16-Jul-2015 02:59 PM
अजमेर (राजस्थान) जिले की मूल निवासी चंचल कुमारी (25) जन्म से ही विकलांग है। पिछले वर्ष चंचल कुमारी के पिता शंकरलाल के निधन से मानों सारे परिवार पर मुसीबतों का पहाड़ ही टुट पड़ा। घर की समस्त जिम्मेदारी चंचल के कंधों पर आ गयी। आर्थिक स्थिति बद से बदत्तर हो गई। किसी तरह चंचल कुमारी को सेवा प्रदाय (कोन्ट्रेक्ट) के आधार पर कम वेतन पर कम्प्यूटर आॅपरेटर की नौकरी नसीब हुई। यह वेतन इतना भी नही कि घर की समस्त जरूरतों को पुरा किया जा सके। विकलांग होने के कारण उसे नौकरी पर आने-जाने में काफी दिक्कत होती थी। समाचार पत्रों के माध्यम से उसे नारायण सेवा संस्थान के विभिन्न निःशुल्क सेवा प्रकल्पों की जानकारी प्राप्त हुई। इससे उसके दिल में आशा की किरण जाग उठी। उसने तुरन्त संस्थान अध्यक्ष श्री प्रशान्त अग्रवाल एवं संस्थान निदेशक श्रीमती वन्दना अग्रवाल से मिल कर अपनी स्थिति से अवगत कराया। चंचल कुमारी की विकलांगता एवं कमजोर आर्थिक स्थिति को देखते हुए श्रीमती एवं श्री अग्रवाल ने संस्थान की ओर से उसे ‘निःशुल्क’ स्कुटी प्रदान की। अब चंचल कुमारी को आॅफिस जाने-आने व अन्य कार्यो को करने में काफी सहुलियत होगी। चंचल कुमारी के मुस्कराते चेहरे को देखते हुए ऐसा लगा मानो उसे खुशियों का खजाना मिल गया हो।