Posted on 15-Jan-2016 11:41 AM
हाँगकाँग के प्रमुख अप्रवासी भारतीय उघोगपति दादा कान हासूमल लखानी एवं उनकी धर्म पत्नी श्रीमती रीटा लखानी ने नारायण सेवा संस्थान के बड़ी परिसर में अपनी ओर से पूर्व पोलियोग्रस्त 501 बच्चों व किशोर -किशोरियों के शल्य चिकित्सा शिविर का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि पीडि़त मानवता की सेवा भारतीय संस्कृति का मूल मंत्र है। उन्होंने माँ से ही सेवा के संस्कार प्राप्त किए। निःशक्तजनों की चिकित्सा, शिक्षा, प्रशिक्षण और पुनर्वास के माध्यम से उनकी क्षमता व प्र्रतिभा का राष्ट्र के विकास में उपयोग सुनिश्चित करना समाज का दायित्व है। हर व्यक्ति को इसमें अपनी सामथ्र्य के अनुसार योगदान करना होगा। संस्थान संस्थापक पद्मश्री कैलाश मानव ने लखानी दम्पती का स्वागत करते हुए उनकी ओर से संस्थान के माध्यम से गरीब परिवारों के 50 से अधिक बच्चों के ह्रदय वाॅल्व बदलने के आॅपरेशन नारायण ह्रदयालय सुपर स्पेशलिटी हाॅस्पीटल बैंगलुरू व जयपुर में करवाए जाने पर आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि दादा ने कई लोगों का मौत के मुंह से और कई माँ की कोख उजड़ने से बचायी। इन्होंने अपनी उम्र से कई ज्यादा गुना सेवा के काम किए हैं। इन बच्चों और उनके परिवारों के सदस्यों ने भी मंच पर उनसे भेट कर बच्चों को नवजीवन प्रदान करने के लिए उनका धन्यवाद ज्ञापन किया। लखानी दम्पती ने संस्थान द्वारा निःशक्तजन के लिए सिलाई, कम्प्यूटर, मोबाईल सुधार, हस्त शिल्प आदि विभिन्न स्वरोजगार परक प्रशिक्षण केन्द्रों व मूक बधिर, विमन्दित तथा प्रज्ञाचक्षु बालकों की शिक्षा के लिए संचालित नारायण चिल्ड्रन ऐकेडमी तथा निःशक्त बच्चों के होते आॅपरेशन का भी अवलोकन भी किया। समारोह के विशिष्ट अतिथि माॅरीशस के श्री सुभाष चन्द्र थे। सुनिश्चित करना समाज का दायित्व है। हर व्यक्ति को इसमें अपनी सामथ्र्य के अनुसार योगदान करना होगा। संस्थान संस्थापक पद्मश्री कैलाश मानव ने लखानी दम्पती का स्वागत करते हुए उनकी ओर से संस्थान के माध्यम से गरीब परिवारों के 50 से अधिक बच्चों के ह्रदय वाॅल्व बदलने के आॅपरेशन नारायण ह्रदयालय सुपर स्पेशलिटी हाॅस्पीटल बैंगलुरू व जयपुर में करवाए जाने पर आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि दादा ने कई लोगों का मौत के मुंह से और कई माँ की कोख उजड़ने से बचायी। इन्होंने अपनी उम्र से कई ज्यादा गुना सेवा के काम किए हैं। इन बच्चों और उनके परिवारों के सदस्यों ने भी मंच पर उनसे भेट कर बच्चों को नवजीवन प्रदान करने के लिए उनका धन्यवाद ज्ञापन किया। लखानी दम्पती ने संस्थान द्वारा निःशक्तजन के लिए सिलाई, कम्प्यूटर, मोबाईल सुधार, हस्त शिल्प आदि विभिन्न स्वरोजगार परक प्रशिक्षण केन्द्रों व मूक बधिर, विमन्दित तथा प्रज्ञाचक्षु बालकों की शिक्षा के लिए संचालित नारायण चिल्ड्रन ऐकेडमी तथा निःशक्त बच्चों के होते आॅपरेशन का भी अवलोकन भी किया। समारोह के विशिष्ट अतिथि माॅरीशस के श्री सुभाष चन्द्र थे। से कई ज्यादा गुना सेवा के काम किए हैं। इन बच्चों और उनके परिवारों के सदस्यों ने भी मंच पर उनसे भेट कर बच्चों को नवजीवन प्रदान करने के लिए उनका धन्यवाद ज्ञापन किया। लखानी दम्पती ने संस्थान द्वारा निःशक्तजन के लिए सिलाई, कम्प्यूटर, मोबाईल सुधार, हस्त शिल्प आदि विभिन्न स्वरोजगार परक प्रशिक्षण केन्द्रों व मूक बधिर, विमन्दित तथा प्रज्ञाचक्षु बालकों की शिक्षा के लिए संचालित नारायण चिल्ड्रन ऐकेडमी तथा निःशक्त बच्चों के होते आॅपरेशन का भी अवलोकन भी किया। समारोह के विशिष्ट अतिथि माॅरीशस के श्री सुभाष चन्द्र थे। विशिष्ट अतिथि माॅरीशस के श्री सुभाष चन्द्र थे।
संस्थान अध्यक्ष श्री प्रशान्त अग्रवाल व निदेशक श्रीमती वन्दना अग्रवाल ने पोलियो अस्पताल में भर्ती विभिन्न राज्यों के निःशक्तजनों से दादा को मिलवाया। उत्तर प्रदेश के मैनपुरी से आए संजय दिवाकर ने उन्हें बताया कि पांच वर्ष पूर्व आॅयल कम्पनी में काम के दौरान स्पेलर मशीन से उनका कोहनी से ऊपर तक दायाँ हाथ कट गया था। संस्थान में न केवल इलाज हुआ बल्कि कृत्रिम हाथ भी लगाया गया। संस्थान अध्यक्ष श्री प्रशान्त अग्रवाल ने बताया कि लखानी दम्पती के विवाह की 50वीं साल गिराह पर अभिनन्दन भी किया गया। इस अवसर पर लखानी दम्पती ने उदयपुर जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूली बच्चों के लिए 5,000 स्वेटर व 800 निर्धन महिलाओं को राशन और 11 बच्चों के ह्रदय में छेद के आॅपरेशन करवाने की घोषणा की। लखानी दम्पती मंगलवार को आदिवासी बहुल क्षेत्र बछार के सहायता शिविर में भाग लेंगे।
श्री अग्रवाल ने बताया कि ब्लड कैंसर, युरिनरी ब्लेडर, हिमोफिलीया और थिलीसिमिया जैसे जटिल रोगों के उपचार में लखानी परिवार का योगदान अविस्वमरणीय है। भोपाल में इनके द्वारा स्थापित उच्च शिक्षा संस्थान गरीब परिवार के बच्चों की शिक्षा में बड़ी मदद कर रहा है। कई निःशक्त, गरीब व अनाथ कन्याओं के विवाह भी इनके द्वारा सम्पन्न हुए है। इस अवसर पर लखानी के कहा कि सेवा से जो खुशी मिलती है उसकी अभिव्यक्ति के लिए मेरे पास शब्द नहीं है। मैं तन से कहीं भी रहूं, आत्मा दरिद्र नारायण में निवास करती है। जिस धरती पर हमने जन्म लिया और जहाँ पोषित हुए, उसकी सेवा करना प्रत्येक व्यक्ति का धर्म है।