Posted on 10-Jun-2016 10:17 AM
एक नौजवान व्यापारी अपनी लगन और कठोर परिश्रम के चलते शहर का सबसे धनी और सम्मानित व्यक्ति बन गया, लेकिन धीरे-धीरे वह घमंडी और लापरवाह हो गया, उसे व्यापार में घाटा हुआ और वह कर्जदार हो गया। एक दिन हताश और निराश एक पार्क में बैठा था। वहां एक बुजुर्ग ने उसकी चिंता का कारण पूछा। उसने अपनी पूरी स्थिति बयान कर दी। यह सुनकर बुजुर्ग बोले, मुझे तुम सच्चे और ईमानदार व्यक्ति लगते हो। यदि मैं तुम्हें 10 लाख रूपये का ब्याज रहित कर्ज दे दूं तो क्या तुम्हारी समस्या हल हो जाएगी? युवक बोला, ऐसा हो जाए तो मैं आजीवन आपका कृतज्ञ रहूंगा। बुजुर्ग ने युवक को तुरंत 10 लाख रूपये का एक चेक दिया और कहा कि ठीक एक साल बाद हम यहीं मिलेंगे। तुम मुझे मेरी रकम लौटा देना। युवक ने कृतज्ञ आंखों से उस दयालु व्यक्ति को जाते हुए देखा, उसने घर आकर सोचा कि उस भले व्यक्ति ने उस पर विश्वास करके चेक दिया है। लेकिन इसे वह भुनाएगा नहीं और अपने धन से ही काम चलाएगा। उसका विश्वास किसी भी हालत में टूटने नहीं देगा। वह पूरे आत्मविश्वास से अपने काम में जुट गया। उसकी दृढ़ इच्छा शक्ति और लगन के चलते उसका काम पहले से भी अच्छा चलने लगा।निश्चित दिन युवक उसी पार्क में बुजुर्ग के दिए चेक के साथ पहुंच गया। वह व्यक्ति भी आ पहुंचा। परंतु पार्क में पहुँचने पर एक नर्स के साथ आए लोगों ने उसे बताया कि वह बुजुर्ग तो मानसिक रोगी है जो खुद को अमीर बताकर फर्जी चेक बांटता रहता है। युवक समझ गया कि उसकी दृढ़ इच्छाशक्ति और लगन लौटाने में फर्जी चेक का नहीं, आत्मविश्वास का महत्व है।