Posted on 21-Jan-2016 03:26 PM
जब अमेरिकी राष्ट्रपति अब्राहिम लिंकन भारत दौरे पर आ रहे थे तब उन्होने अपनी माँ से पूछा कि हिंदुस्तान से आपके लिए क्या लेकर आए । तब माँ का जवाब मिला, उस महान देश की वीर भूमि हल्दी घाटी से एक मुðी धूल लेकर आना, जहाँ का राजा अपने प्रजा के प्रति इतना वफादार था कि उसने आधे हिंदुस्तान के बदले आपनी मातृभूमि को चुना। बद किस्मती से उनका वो दौरा रद्द हो गया था। बुक आॅफ प्रेसिडेंट यु. एस. ए. किताब में आप ये बात पढ़ सकते हैं।
अकबर को महाराणा प्रताप का इतना भय था कि वह कई बार रात को सोते समय डर कर नींद से जाग जाता था।
महाराणा प्रताप के भाले का वजन 80 किलो था और कवच का वजन 80 किलो, कवच, भाला, ढाल, और हाथ में तलवार का वजन मिलायें तो 207 किलो। आज भी महाराणा प्रताप की तलवार, कवच आदि सामान उदयपुर राजघराने के संग्रहालय में सुरक्षित है।
अकबर ने कहा था कि अगर राणा प्रताप मेरे सामने झुकते हैं तो आधे हिंदुस्तान के वारिस वो होंगे, पर बादशाही अकबर की ही रहेगी।
राणाप्रताप के घोड़े चेतक का मंदिर भी बना जो आज हल्दी घटी में सुरक्षित है। इसी जगह चेतक की मृत्यु हुई थी।
महाराणा ने जब महलांे का त्याग किया तब उनके साथ लुहार जाति के हजारों लोगों ने भी घर छोड़ा और दिन रात राणा की फौज के लिए तलवारें बनायीं। यह समाज आज तक अपने उस व्रत पर कायम है। स्थायी रूप से बसने की बजाय अपनी बैलगाड़ी को ये अपना घर बनाते हैं। इसी समाज को आज गुजरात, मध्यप्रदेश और राजस्थान में गड़लिया लौहार कहा जाता है, नमन है ऐसे लोगों को। हल्दी घाटी के युद्ध के 300 साल बाद भी वहाँ की जमीनों में तलवारें पायी गयी। आखिरी बार तलवारों का जखीरा 1985 में हल्दी घाटी में मिला।
’महाराणा प्रताप को अस्त्र शस्त्र की शिक्षा जयमल मेड़तिया ने दी थी, जो 8000 राजपूतों को लेकर 60000 मुगलों से लड़े थे। उस युद्ध में 48000 सैनिक मारे गए थे जिनमें 8000 राजपूत और 40000 मुगल थे।
राणा प्रताप के देहांत पर अकबर भी रो पड़ा था।
मेवाड़ के आदिवासी भील समाज ने हल्दी घाटी में अकबर की फौज को आपने तीरों से बींध डाला था। वो राणाप्रताप को अपना बेटा मानते थे और राणा जी बिना भेद भाव के उन के साथ रहते थे। आज भी मेवाड़ के राज चिन्ह पर एक तरफ राजपूत है तो दूसरी तरफ भील।
राणा का घोडा चेतक महाराणा को 26 फीट का दरिया पार करने के बाद वीर गति को प्राप्त हुआ। उसकी एक टांग टूटने के बाद भी वह दरिया पार कर गया।
राणा का घोडा चेतक भी बहुत ताकतवर था। उसके मुँह के आगे हाथी की सूंड लगाई जाती थी। राणा के पास ऐतक और चेतक नाम के दो घोड़े थे।
मरने से पहले महाराणा ने खोया हुआ 85 प्रतिशत मेवाड़ फिर से जीत लिया था। महलों को छोड़ वो 20 साल मेवाड़ के जंगलो में घूमे।
महाराणा प्रताप का वजन 110 किलो और लम्बाई थी 7.5 फीट। वे दो म्यान वाली तलवार और 80 किलो का भाला रखते थे हाथ में।
’मेवाड़ राजघराने के वारिस को एकलिंग जी भगवान का दीवान माना जाता है।
छात्रपति शिवाजी भी मूल रूप से मेवाड़ से ताल्लुक रखते थे। वीर शिवाजी के परदादा उदयपुर महाराणा के छोटे भाई थे।
’अकबर को अफगान के शेख रहमुर खान ने कहा था अगर तुम राणा प्रताप और जयमल मेड़तिया को अपने साथ मिला लो तो तुम्हे विश्व विजेता बनने से कोई नहीं रोक सकता, पर इन दोनों वीरों ने जीते जी कभी हार नहीं मानी।
नेपाल का राजपरिवार भी चित्तौड़ से निकला है, दोनों में भाई और खून का रिश्ता है।
मेवाड़ राजघराना आज भी दुनिया का सबसे प्राचीन राजघराना है।