Posted on 15-Jun-2015 04:22 PM
नेपोलियन कहीं जा रहा था। रास्ते में उसकी नजर एक दृश्य पर पड़ी। वह रूक गया। कई कुली मिलकर भारी-भारी खंभों को उठाने का प्रयास कर रहे थे। और मारे पसीने के तरबतर थे। पास में खड़ा एक आदमी उन सबको तरह-तरह के निर्देश दे रहा था।
नेपोलियन ने उस आदमी के करीब जाकर कहा, ”भला आप क्यों नहीं इन बेचारों की कुछ मदद करते ?“
उसे गुस्सा आ गया और झिड़कते हुए वह बोला, ”तुझे मालूम है, मैं कौन हूँ ?“
”नहीं भाई, मैं तो अजनबी हूँ, मैं क्या जानूं कि आप कौन हैं ?“ नेपोलियन ने विनम्रता से कहा।
”मैं इस काम का ठेकेदार हूँ“, रोब जमाते हुए उसने कहा। नेपोलियन बिना कुछ कहे मजदूरों की तरफ चला गया और उन मजदूरों के काम में हिस्सा बांटने लगा। जब वह जाने लगा तो ठेकेदार से पूछा, ”और तू कौन है ?“
”ठेकेदार साहब, बंदे को लोग नेपोलियन कहते हैं“ नेपोलियन का नाम सुनते ही ठेकेदार की सिट्टी-पिट्टी गुम हो गयी। उसने अपनी असभ्यता के लिए उससे माफी मांगी। नेपोलियन ने उसे समझाया,”किसी भी काम को अपने ओहदे से नहीं देखना चाहिए और न ही किसी काम को छोटा समझना चाहिए।“