Posted on 30-Apr-2015 02:41 PM
एक मोची जूती बनाता जाता और भजन गाता। यही उसका काम था, प्रातः काल से। उसी मकान में एक धनी रहता था सद्भावी भक्त हृदय। एक दिन धनी बीमार हो गया। मोची के भजनों से उसे बड़ा सुख मिला। उसने मोची को बुलाया और अपनी खुशी से उसे पचास रुपये दिए। दूसरे दिन प्रातः भजन नहीं सुनाई पड़े। दोपहर को मोची धनी व्यक्ति के पास आया और उसने प्रार्थना की कि अपने पचास रुपये वापस ले लीजिए। जब से ये रुपये मुझे मिले हैं, मैं इसी चिन्ता में डूब गया कि कैसे इन्हें रखूँ, क्या करूँ, मेरी नींद हराम हो गई है। मैं भजन भी नहीं कर सका।