Posted on 13-May-2015 12:01 PM
लाल बहादुर शास्त्री उन दिनों रेल विभाग में मंत्री थे। एक बार वे सरदार नगर में होने वाले एक सम्मेलन में जा रहे थे। रास्ते में जंगल पड़ता था। गौरी नाम के गाँव के पास कुछ लोगों ने उनकी मोटर रोकली और कहने लगे, ”एक गरीब किसान औरत की प्रसूति का समय निकट है। यदि उसे शीघ्र ही पास के शहर सरदार नगर पहुँचा दिया जाए तो अच्छा हो।“
शास्त्री जी के एक सहयोगी ने जो उत्तर प्रदेश के एक मंत्री थे, शास्त्री जी की गाड़ी को इस काम के लिए रोके जाने का विरोध किया। पर तभी शास्त्री जी तुरंत गाड़ी से नीचे उतर कर उन लोगों से बोले, ”ले आओ उस बहन को। मैं अपनी गाड़ी से शहर पहुँचा दूँगा।“ इस पर उनके साथी मंत्री ने पुनः कहा, ”सम्मेलन में पहुँचने के लिए देर होती जा रही है और आप-“
उनकी बात को काटते हुए शास्त्री जी ने कहा, ”समय से ज्यादा कीमत इन्सान की होती है, यदि मैं सम्मेलन में उपस्थित न भी हो सका तो क्या बिगड़ जाएगा ?“ और इस प्रकार उस किसान महिला को समय पर उचित सहायता मिल गई।