श्रम को सलाम

Posted on 18-May-2015 01:45 PM




महान सम्राट् नेपोलियन एक महिला मित्र के साथ घूमते हुए एक संकरे रास्ते से जा रहे थे। महिला उनसे कुछ कदम आगे चल रही थी। सामने से एक मजदूर भारी भार लादे आ रहा था। महिला को अपने कुल, धन व पद का गर्व था और उस वक्त तो सम्राट के साथ होने के कारण वह और गर्वीली हो रही थी। एक मजदूर को जरा हट कर वह रास्ता क्यों देती। बीच रास्ते में वह तो ऐसे चल रही थी, जैसे मजदूर को तो उसने देखा ही न हो। 
    सम्राट नेपोलियन विनम्र भाव से एक और हट गए और हाथ पकड़कर उन्होंने उस महिला को एक किनारे किया और बोला - ‘मैडम ! भार को सम्मान दो।’
यह वाक्य क्या हमें कर्तव्य-बोध के प्रति प्रेरित नहीं कर रहा है ?  जिनके कंधों पर घर का, परिवार का, समाज का राष्ट्र का भार है, उनके प्रति सम्मान प्रकट करना आरम्भ कर दें, तो अच्छाई सहस्र गुणा फैलने लगेगी। ‘भार को सम्मान’ देने का अर्थ है राष्ट्र के प्रगति-पथ को प्रशस्त करना।


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