Posted on 28-Apr-2015 10:20 AM
एक बार स्वामी विवेकानन्द किसी पहाड़ी की तलहटी में यात्रा कर रहे थे। उस पहाड़ी पर बन्दर बहुत थे। बन्दर तो उत्पाती होते ही हैं, स्वामीजी पर ‘खों-खों करते हुए झपट पड़ें। बन्दरों से डरकर स्वामीजी भाग पड़े। स्वामीजी को डरा हुआ देखकर बन्दर और अधिक तेजी से पीछा करने लगे।
उन्हें दूर से किसी व्यक्ति ने देखा। वह व्यक्ति चिल्लाया- ‘‘स्वामीजी डरिये मत बन्दरों को डाँटते हुए खड़े हो जाइये और जमीन से पत्थर का टुकड़ा उठाने का अभिनय करिये।’’
स्वामीजी ने ऐसा ही किया तो बन्दर डर कर इधर-उधर भाग गये ।तब स्वामीजी ने सोचा-‘‘सच है, मुसीबत से पीछा छुड़ाकर भागना नहीं चाहिए, बल्कि साहस के साथ उसका सामना करना चाहिए।’’