Posted on 08-Aug-2015 04:27 PM
भूदान आन्दोलन के प्रणेता विनोबा भावे के पास एक शराब की लत वाला युवक आया।
उसने प्रार्थना की कि मैं बेहद परेशान हूँ, मदिरा मेरा पीछा नहीं छोड़ती। विनोबा जी ने सुना और अगले कल आने का कहा। अगले दिन युवक आया और विनोबा जी को आवाज़ देने लगा युवक की आवाज़ सुन कर विनाबा जी ने कहा कि मैं बाहर नहीं आ सकता क्योंकि मुझे एक खम्बे ने पकड़ रखा है। युवक ने भीतर देखा कि विनोबा जी ने एक खम्बे को पकड़ रखा है।
यह देख युवक बोला आप स्वयं खम्बे को छोड़ दे तो आप खम्बे से अलग हो जायेंगे।
यह सुन कर विनोबा जी बोले-बेटा मैं तुम्हे यही समझाना चाहता था कि मदिरा ने तुम्हें नहीं, तुमने मदिरा का पकड़ रखा है। तुम स्वयं ही शराब को छोड़ सकते हो। दृढ़ इच्छा शक्ति से तुम ग़लत आदतों को छोड़ सकते हो।
युवक विनाबाजी की शिक्षा से प्रभावित हुआ और महिरा त्याग का वादा कर खुशी खुशी घर चला गया।