Posted on 09-Jan-2016 05:18 PM
मध्य रात्रि का समय था युवा पति-पत्नी गहरी नींद में सो रहे थे। अचानक पति की आंख खुली उसने देखा फूस की छत से एक तिनका गिरा। जमीन पर गिरते ही वह तिनका नाग बन गया। उसने उसकी सोती हुई पत्नी को काट लिया। पत्नी एक बार जोर से कराही और शांत हो गई। युवक दुखी और चिंतित था। वह सम्मोहित होकर नाग को एकटक देखता रहा।
सांप कुटिया से बाहर गया तो वह भी उसके पीछे पीछे चलने लगा। कुछ दूर जाने पर पर वह नाग एक भेडि़या बन गया और उसने छोटे से बच्चे को मार डाला।
अगले ग्राम में जाकर वह भेडि़या पागल कुत्ता बन गया और उसने दो राहगीरों को काट लिया और वह वहीं मर गए। फिर समीप के जंगल में जाकर वृद्ध ब्राह्मण बन गया। युवक से अब रहा नहीं गया वह वृद्ध ब्राह्मण के पास जाकर बोला, ‘मान्यवर! मैं बहुत देर से आपका पीछा कर रहा हूं। कृपया! बताएं आप कौन हैं और यह पाप कर्म क्यों कर रहे हैं।‘
वृद्ध ब्राह्मण बोला,‘मेरे काम में दखल न दो और यहां से चले जाओ अन्यथा तुम्हारे जीवन पर भी संकट के बादल मंडराने लगेंगे।‘
युवक ने कहा,‘ आपने मेरी पत्नी को मार दिया है। अब मेरे पास जीने की कोई वजह नहीं है। यदि आपने मेरे प्रश्न का उचित उत्तर न दिया तो मैं यहीं अपने प्राण त्याग दूंगा और उसका पाप भी आपको ही लगेगा।‘
वृद्ध ब्राह्मण बोला,‘ मैं मृत्यु हूं और अपना कार्य कर रहा हूं।‘युवक ने पूछा,‘ अच्छा कृपया बताएं मेरी मृत्यु कैसे होगी?‘
युवक ने कहा,‘ एक दिन भागीरथी के तट पर एक मगर तुम्हें खा जाएगा।‘
युवक ने मन ही मन तय किया वह जीवन में कभी भी भागीरथी नदी के तट पर जाएगा ही नहीं। उसने भागीरथी के तट से बहुत दूर एक ग्राम में सेठ के यहां नौकरी कर ली। वह सेठ निसंतान थे युवक के उनके घर चरण पड़ते ही सेठ के घर लड़का पैदा हुआ। सेठ ने युवक को भाग्यशाली जान घर के सदस्य का दर्जा दिया। सेठ का लड़का युवक को बहुत चाहता था। उसके बिना एक पल भी न रहता।
एक बार ऐसा योग आया की उस समय भागीरथी में नहाने से विशेष पुण्य की प्राप्ति हो सकती थी। सेठ परिवार ने भागीरथी में स्नान की योजना बनाई मगर लड़का अड़ गया कि वह युवक के बिना नहीं जाएगा। युवक ने सेठ को अपनी मृत्यु से संबंधित सारा भेद बताया।
सेठ ने कहा कोई बात नहीं हम तुम्हारे नहाने के स्थान को लोहे की जाली से सुरक्षित करवा देंगे। न चाहते हुए भी युवक को साथ जाना पड़ा। युवक जैसे ही स्नान करने के लिए पानी में गया साथ ही बच्चे ने पानी में छलांग लगाई दि और मगर का रूप ले लिया और उसका गला पकड़ते हुए बोला,‘तुमने अपनी मृत्यु का भेद जानकर मुझे परेशानी में डाल दिया था परंतु होनी को कोई नहीं टाल सकता।‘