खुशी का रहस्य

Posted on 25-May-2015 02:55 PM




अनचाही बातें जीवन में चींटी की रफ्तार से आती हैं इसलिए इंसान यह जान ही नहीं पाता कि ये चीजें उसकी तरफ धीरे-धीरे सरक रही हैं। वह हर दिन नकारात्मक बातों को देख-देखकर जितना ज्यादा उस पर ध्यान केन्द्रित करता है, उतनी ही नकारात्मक घटनाओं को उसके जीवन में प्रवेश पाने में आसानी होती है। इंसान सोचता है कि ”मैंने तो ऐसा कभी नहीं सोेचा था, फिर यह कैसे हुआ ?“ हालाँकि उसे यह नहीं पता कि उसने एक दिन बैठकर ये सब कुछ नहीं सोचा था बल्कि सालों से नकारात्मक सोचने की उसकी आदत रही है। सालों से नकारात्मक देखने की आदत पड़ जाने के कारण पड़ोसी का सुख उसे सदा से खलता आया है। इसलिए जो खुशी उसकी तरफ आ रही थी, वह भी रूक गयी। यदि उस वक्त कोई उसे यह समझा पाता कि खुशी उसकी ओर आने से कैसे रूकी हुई है तो वह कहता, ’अब मैं दूसरों के सुख में तुरंत खुश होना शुरू कर दूँगा। चूँकि मैं यह देख नहीं पा रहा था इसलिए यह मूर्खता कर रहा था। अच्छा हुआ किसी ने बताया। अब मैं पड़ोसी की खुशी देखकर खुश होऊँगा।’समझा पाता कि खुशी उसकी ओर आने से कैसे रूकी हुई है तो वह कहता, ’अब मैं दूसरों के सुख में तुरंत खुश होना शुरू कर दूँगा। चूँकि मैं यह देख नहीं पा रहा था इसलिए यह मूर्खता कर रहा था। अच्छा हुआ किसी ने बताया। अब मैं पड़ोसी की खुशी देखकर खुश होऊँगा।’
इस तरह खुश होने के लिए सिर्फ समझ ही काफी है। कुदरत का यह सिद्धांत आपकी समझ में आ जाये तो आप खुश होना शुरू कर देंगे, न कि यह सोचते रहेंगे कि ’पहले यह काम हो जाये तो मैं खुश होऊँगा।’ जैसे सगाई हो जाये, रिजल्ट आ जाये, पास हो जाऊँ, लड़का हो जाये, घर बन जाये, कार आ जाये, जन्मदिन आ जाये, फिर मैं खुश होऊँगा।
जब आपको खुशी का रहस्य समझ में आ जायेगा तब आप खुश होने के लिए कैलेंडर में दी गयी तारीखों का या किसी भी सुखद घटनाओं के होने का इंतजार नहीं करेंगे। अर्थात् हमेशा खुश रहेंगे।


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