Posted on 22-May-2015 03:07 PM
हम आर्थिक रूप से सफल होना चाहते हैं, तो समृद्धि के विचारों को बहुतायत से मनोमन्दिर में प्रविष्ट होने दीजिये। यह मत समझिये कि हमारा सरोकार दरिद्रता, क्षुद्रता, नीचता से है। संसार में यदि कोई चीज सबसे निकृष्ट है तो वह विचार-दारिद्रय ही है। जिस मनुष्य के विचारों में दरिद्रता प्रविष्ट हो जाती है, वह रुपया-पैसा होते हुुए भी सदैव भाग्य का रोना रोया करता है। दरिद्रता के अनिष्टकारी विचार हमें समृद्धिशाली होने से रोकते हैं; दरिद्र ही बनाये रखते हैं।
हम दरिद्र, गरीब या अनाथहीन अवस्था में रहने के हेतु पृथ्वी पर नहीं जन्मे हैं। हम केवल मुट्ठी भर अनाज या वस्त्र के लिये दासवृत्ति करते रहने को उत्पन्न नहीं हुए हैं।
गरीब क्यों सदैव हीनावस्था में रहता है ? इसका प्रधान कारण यह है कि वह उच्च आकांक्षाओं, उत्तम पवित्र कल्पनाओं, स्वास्थ्यदायक स्फूर्तिमय विचारों को नष्ट कर देता है;