Posted on 07-May-2015 12:57 PM
मत किसी को दर्द का सैलाब दो,
मत किसी को छलावों का उपहार दो,
देना ही चाहते अगर तुम दोस्त मेरे,
आदमी को आदमी का प्यार दो,
ये जीवन तो जैसा चश्मे का रंग हो, वैसा लगेगा। किसी को उलझन लगती है तो किसी को जीवन बहुत मधुर लगता है। अभी कल ही मैं पढ़ रहा था........
ऊँ....
ये जीवन एक उलझन है
कहीं धोखा कहीं गम है
कोई हँसता है गिर-गिर कर,
कोई रोता है उठ-उठ कर,
जो गिरकर फिर संभल जाए,
उसे इंसान कहते हैं।
मेरे प्रवचन की धुन इधर-उधर हो तो फर्क नहीं पड़ता है परन्तु परोपकार की धुन को हमें सदा पकड़े रहना चाहिए। जो निराशा में भी आशा ले आये, दुःख में सुख ले आये, उदासी के क्षणों में भी प्रसन्न हो जाये.... बाबूजी ये हो सकता है। चाहो तो दुनिया जीत लो।