Posted on 25-May-2015 02:57 PM
दृढ़ और बलवान् संकल्प शक्ति के कारण मनुष्य में ऐसी योग्यता और शक्ति आ जाती है कि कितनी भी कठिनाईयाँ क्यों न हो वह सबको पार कर जाता ह,ै कोई वस्तु उसको अपने उद्देश्य से नहीं रोक सकती बल्कि ऐसे पुरुषार्थी के लिए प्रकृति स्वयं काम करती है। इसी शक्ति के भरोसे पंजाब केसरी महाराजा रणजीत सिंह ने अटक नदी की छाती को घोड़ांे के खुरपुटांे से यह कह कर रौंद डाला-
जाके मन मंे अटक है,
सोई अटक रहा।
जाके मन में अटक नहीं,
उसको अटक कहाँ।।