Posted on 22-May-2015 03:09 PM
हर इंसान अपनी अलग और सही पहचान बनाना चाहता है। वह सही लक्ष्य और सही मंजिल हासिल करना चाहता है। अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए हमें पहले अपने शरीर को, जो इस लक्ष्य में निमित्त बनने वाला है, निरोगी रखना होगा।
स्वयं को निरोगी रखने के लिए सफाई बहुत ही आवश्यक है क्योंकि निसर्गोपचार में कहते हैं, ’गंदगी शरीर के लिए रोग है तो स्वच्छता आरोग्य है।’ शरीर एक ऐसा आईना है, जिसमें हमें अपना अक्स नजर आता है। स्वच्छ शरीर स्वस्थ होता है, स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मन होता है, स्वस्थ मन में शुभ विचार होते हैं और यही शुभ विचार हमें अपने लक्ष्य तक ले जाने में सहायक होते हैं।
स्वच्छता के लिए यह जरूरी है कि हम तन औेर मन दोनों की सफाई करें यानी अंतर्बाह्य स्वच्छता करें। स्वच्छता से आरोग्य का जतन करें। शरीर की स्वच्छता के लिए नियम एवं अनुशासन आवश्यक है क्यांेकि अनुशासन सेे नियमपूर्ण किया गया कार्य सफल होता है।