Posted on 08-Aug-2016 02:02 PM
कैंची वस्त्र को फर्राटे से काटे जा रही थी। वस्त्र ने नम्रभाव से धीमी आवाज में कैंची से पूछा - “बहिन मेरा अंग-प्रत्यंग विच्छिन्न क्यों कर रही हो ?” मुस्कराती हुई कैंची ने प्रत्युत्तर दिया - दूसरों की भलाई के लिए, उनके अंग की रक्षा के लिये और उनकी शोभा एवं मान-मर्यादा बढ़ाने के लिये।”जीवन वही जो परहित काम आए।