Posted on 12-Jun-2016 11:13 AM
आपने यह कहावत ज़रूर सुनी होगी -
’लीक छाड़ि तीनों चलें, शायर, सिंह, सपूत।’ यानी कि सच्चा कवि, शेर और सुपुत्र हमेशा बने बनाए रास्तों को छोड़कर नए रास्तों पर चलते हैं। ये वे लोग होते हैं, जो अपने लिए खुद रास्ता बनाते हैं और बाद में इनके बनाए गए रास्ते पर दुनिया चलती है। ऐसे लोगों को आप नेतृत्व करने वाला कह सकते हैं। सच तो यही है कि विश्व का आज जितना भी विकास हुआ है, जिसने हमारे जीवन को इतना आसान बनाया है, वह ऐसे ही लोगों के कारण संभव हो सका है, जिन्होंने बने बनाए रास्ते पर चलने से इंकार कर दिया था। हालाँकि रास्ते तो थे और वे चाहते, तो उसी पर चलकर अपना जीवन पूरा कर सकते थे, लेकिन उन्हें वह स्वीकार नहीं था। उनके अन्दर कुछ कर गुज़रने का जो तूफान उठ रहा था, उसके कारण उन्होंने नए रास्ते पर चलने का निर्णय लेकर दुनिया के लिए एक नया रास्ता तैयार किया।