सभी की अपनी-अपनी उपयोगिता है

Posted on 01-May-2015 03:46 PM




प्रकृति ने इस धरती पर जो कुछ भी रचा है, उसमें से कुछ भी व्यर्थ नहीं है। सबकी अपनी-अपनी उपयोगिता है। जी हाँ, हम भी। भले ही हम सभी पेड़ों को एक जैसा मान लें, लेकिन वे एक जैसे होते नहीं हैं। यहाँ तक एक ही श्रेणी की वस्तुएँ एक जैसी नहीं होती। क्या आप विश्वास करेंगे कि खरबूजे तक के बारह सौ प्रकार होते हैं ? क्या सभी आमों का रस एक जैसा होता है ? इसका मतलब यह हुआ कि प्रकृति कभी भी अपने आपको ज्यों का त्यों नहीं दोहराती। वह हरेक के जरिए कुछ न कुछ नया रचती है। जी हाँ, इसी तरह हम को उसने मनुष्य तो बनाया है, लेकिन कुछ न कुछ नया भी बनाया है। हम दूसरों की तरह होकर भी पूरी तरह दूसरों की तरह नहीं हैं। हम किसी न किसी मायने में दूसरे से ठीक उसी प्रकार अलग हैं, जैसे लंगड़ा आम चैसे से अलग होता है। कहने को तो दोनों ही आम हैं, लेकिन स्वाद दोनों का एक नहीं है।


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