Posted on 08-Aug-2016 02:04 PM
अपने दुख को अकेले ही सहने की कोशिश न करें। अपने दोस्तों, आध्यात्मिक लोगों अपने शुभचिंतकों व प्रोफेशनल की सेवा लेने में हिचकिचाएं नहीं। यह सहयोग आपको जीवन की उस नई तस्वीर को देखने में मदद करेगा, जिसे आप नहीं देख पा रहे हैं। दूसरों का सहयोग मन में बनने वाले दुख के दुष्चक्र को रोक देता है।
सेहत का ध्यान रखें-’हील योर लाइफ’ की लेखिका लुइस एल हे कहती हैं, ’दुख व दर्द से बाहर आने के लिए विचारों को साधना जितना जरूरी है, उतना ही शरीर के पोषण का ध्यान रखना भी। दुख के क्षणों में भी स्वस्थ खाएँ, भरपूर नींद लें और व्यायाम करना न छोडे़। बंद कमरे से बाहर निकलकर ताजी हवा में सांस लें। योग करें या प्रकृति के बीच टहलते हुए खुद को इस बात का अहसास कराएँ कि दुख भी मौसम की तरह है। जैसे बहुत ठंड में समस्या होने परे भी मन में विश्वास रहता है कि गर्मियों में सब ठीक हो जाएगा, दुख भी चला जाएगा।
माइंडफुलनेस मेडिटेशन करें-रीथिंकिंग डिप्रेशन के लेखक एरिक मेजल कहते हैं, ’माइंडफुलनेस यानी वर्तमान में जीना। वर्तमान को बिना किसी द्वंद्व के स्वीकारना। होता यह है कि जैसे ही मन अच्छे व बुरे का फैसला करना शुरू कर देता है, वैसे ही हम वर्तमान से दूर हो जाते हैं। लेकिन जब हम दुख को बिना किसी भाव या तर्क के स्वीकारते हैं, खुद के भीतर दुखों के लिए जगह बनाते हैं, तो भावों पर पकड़ मजबूत होती है और हम अधिक खुशियों के लिए जगह बना पाते हैं।
शांत बैठकर चितन करें- शांत बैठें और खुद से पूछें कि पहले आपने अपनी चुनौतियों को कैसे पार किया है? बीते कल के इन्ही अनुभवों से प्रेरणा लें। जब ये विश्वास हो जाता है कि आपमें दुख का सामना करने की क्षमता है, तो आप वर्तमान चुनौतियों का सामना बेहतर तरीके से कर पाते हैं। आप यह देख पाते हैं कि दुख ने आपको कितना मजबूत बनाया है।
तनाव को हावी न होने दें-जैसे ही उदासी व असहाय होने का अहसास जोर पकड़ता हैं, खुशी से पकड़ कमजोर हो जाती है। तनाव हावी होने लगता है। गलत फैसले होने लगते हैं। अच्छे भविष्य की चाह बनाए रखें, तो इससे बच सकते है।