Posted on 30-Nov-2015 02:23 PM
ये सोचकर अगर आप इन परंपराओं से दूर हैं कि ये सब दकियानूसी बातें हैं, तो यह आपकी गलतफहमी है। हैरान रह जाएंगे इन खास परंपराओं के खास सेहतभरे फायदे जानकर
चांदी के बर्तनों में खाना खाना पहले एक अच्छी परंपरा थी। दूध के गिलास में भी चांदी के सिक्के डाल दिए जाते थे। अब लेकिन नाॅनस्टिक चलन में है, क्योंकि लोग जानते ही नहीं कि चांदी के बर्तनों में खाना खाने से बीमारियां दूर होती है। इन बर्तनों में एंटी-वायरल और एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं। जिससे खाने का पोषण बना रहता है। कान छिदवाना पुराने समय में जरूरी था, खासतौर पर छोटे बच्चों के। अब लेकिन इस कर्ण छेदन की परंपरा को तरजीह नहीं दी जा रही। हैरानी होगी यह जानकर कि कर्ण छेदन से जहां लड़कों में हर्निया होने का खतरा कम रहता है, वहीं महिलाओं में ये मासिक चक्र को नियमित रखने में मदद करता है। इसके अलावा इससे दिमाग शुद्ध रहता है। अब बहुत सी जगह रंगोली बनाने की परंपरा खत्म सी हो चली है। रेडीमेड रंगोली चिपकाकर त्योहार मनाए जा रहे हैं। लेकिन इस परंपरा का अपना महत्व है। रंगोली का संबंध मूड से होता है। घर में हाथों से रंगों से उकेरी गई रंगोलियां पाॅजिटिविटी बढ़ाती हैं। इनसे आंखों को सुकून मिलता है।
इसी तरह चांदी के गहनने की परंपरा सेहत के लिए लाभकारी है। चांदी के गहने पहनने से शरीर के तत्वों में संतुलन बना रहता है। साथ ही ये शरीर को ठंडक देने का भी काम करते हैं। कांटे-छुरी चम्मच का जमाना है। हाथ से खाना खाने को सिस्टमेटिक नहीं माना जाता, जबकि हाथ से खाना खाना ही फायदेमंद होता है। हाथ से खाना खाने से जहां खाने का स्वाद बढ़ जाता है, वहीं खतरनाक बैक्टीरिया भी नष्ट हो जाते हैं। हाथ से कौर बनाते वक्त जो मुद्रा बनती है उससे शरीर में पांच तत्वों का संतुलन बरकरार रहता है और ऊर्जा बनी रहती है।