Posted on 01-Aug-2015 03:25 PM
बदलते मौसम में और खासतौर पर सर्दियों में अस्थमा के रोगियों की दिक्कत बढ़ जाती है और ऐसे में योग विशेषज्ञ सांस लेने में कठिनाई से जुड़ी इस समस्या के उपचार में योगासन और प्राणायम के कारगर होने का दावा करते हैं.
योग से अस्थमा का उपचार होने का दावा करने वाले आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि इस समस्या का इलाज एक थैरैपी से संभव नहीं है और मरीज को कई थैरेपी लेनी पड़ती हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘इसके लिए व्यक्ति को कार्बनिक (ऑर्गनिक) भोजन का इस्तेमाल करना चाहिए, योग थैरेपी लेनी चाहिए तथा प्राकृतिक चिकित्सा के सिद्धांतों का पालन करना चाहिए.’’
पतंजलि योगपीठ के सह-संस्थापक बालकृष्ण के मुताबिक, ‘‘सांस लेने में परेशानी, छाती में भारीपन, पेट फूलना, चिंता, खांसी, जुकाम, कमजोरी, शरीर में थकान महसूस होना अस्थमा के सामान्य लक्षण हैं.’’
आयुर्वेद में अस्थमा को ‘तमकश्वास’ नाम दिया गया है और जानकार मानते हैं कि इसके कारणों में भोजन का ठीक से नहीं पचना और मलाशय में विषैले पदार्थ जमा होने की वजह से सांस लेने में दिक्कत होना शामिल है. पर्यावरण संबंधी परिस्थितियां भी इसके लिए जिम्मेदार हो सकती हैं. यह एक आनुवांशिक रोग भी है.
योग विशेषज्ञ दीपक झा के अनुसार सांस लेने में दिक्कत बढ़ना आम बात हो गयी है और मौसम बदलते समय तथा सर्दी में इसके रोगी ज्यादा परेशान होते हैं.
झा ने कहा कि योगासनों के जरिये इस समस्या से राहत पाई जा सकती है. प्राणायाम से भी लाभ मिलता है.
पतंजलि योगपीठ के वैद्य अरण कुमार पांडे के अनुसार अस्थमा रोगियों को अपने आहार और जीवनशैली पर खास ध्यान देना चाहिए. इसमें सैर, व्यायाम, समय पर खाना आदि शामिल हैं.
योग के जानकार अस्थमा के रोगियों को किसी विशेषज्ञ की सलाह के साथ ही योगासन करने की सलाह देते हैं जिनमें कुंजल क्रि या, सूर्य नमस्कार, जलनेति, सुखासन आदि शामिल हैं.
गौरतलब है कि केंद्र सरकार योग के साथ साथ आयुव्रेद, प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध तथा होम्योपैथिक जैसी परंपरागत चिकित्सा पद्धतियों पर भी विशेष ध्यान दे रही है और इसी लिहाज से आयुष को एक अलग मंत्रालय बना दिया गया है जो पहले स्वास्थ्य मंत्रालय के तहत आने वाला विभाग था.
भारत के प्रयासों से संयुक्त राष्ट्र ने 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस घोषित किया है.