Posted on 28-Nov-2015 04:30 PM
पेट हमारे शरीर का बहुत ही महत्वपूर्ण अंग है। यह एक थैली जैसी मांसपेशी है, जो गले की भोजन नली और छोटी आंत के बीच में स्थित होती है। इसे आमाशय कहते है। मुख्य रूप से इसके दो कार्य हैंः भोजन के लिए गोदाम का काम करना और उसे पचाना। भोजन को पचाने के लिए पेट से तीन प्रकार के रस पैदा होते हैं- हाइड्रोक्लोरिक अम्ल, म्यूकस और एंजाइम। हाइड्रोक्लोरिक अम्ल भोजन में उपस्थित सूक्ष्म जीवाणुओं को नष्ट करता है। म्यूकस पेट की आंतरिक सतह की रक्षा करता है और उसे चिकना रखता है। एंजाइम भोजन को पचाने का काम करते हैं। एक सामान्य पेट में एक बार में एक लीटर भोज्य पदार्थ आ सकता है।
कभी-कभी पेट में अधिक रस बनने लगते हैं, जिनके कारण पेट में बेचैनी और जलन महसूस होने लगती है। अधिक रस पैदा होने के कई कारण हैं। भावुकता, भय, क्रोध, तनाव आदि के कारण पाचक रसों का निर्माण अधिक होने लगता है। अधिक मसाले वाले खाद्य पदार्थों से भी ये रस अधिक बनते हैं। सिगरेट, शराब, काॅफी, चाय आदि से भी इन रसों का निर्माण अधिक होता है। जब ये रस बहुत अधिक मात्रा में बनने लगते हैं, तब हाइड्रोक्लोरिक अम्ल पेट की आंतरिक सतह पर प्रभाव डालने लगता है। परिणाम यह होता है कि आंतरिक सतह पर घाव होने शुरू हो जाते हैं। इन्हीं घावों को पेट का अल्सर कहते हैं।
अल्सर हो जाने पर पेट में दर्द रहने लगता है। यह बहुत भयानक बिमारी है। यह आमाशय या आंत की दीवारों को तोड़ कर उदर गुहा में भोज्य सामग्री डाल सकता है, जो बहुत हानिकारक और पीड़ा भरा होता है। इसलिए इनका इलाज कराना बहुत ही जरूरी होता है। भोजन के दो-तीन घंटे बाद जब पेट में जलन और दर्द होने लगे, तब अच्छे डाॅक्टर की सलाह अवश्य लेनी चाहिए। ठंडे दूध का उपयोग अल्सर में बहुत ही लाभकारी रहता है। इस बीमारी में सिगरेट और शराब का प्रयोग अत्यंत हानिकारक है। अल्सर के रोगी को मिर्च, मसाले और तला हुआ भोजन नहीं करना चाहिए। संसार के 10-15 प्रतिशत लोगों को अल्सर की शिकायत रहती है। यह रोग महिलाओं की अपेक्षा पुरूशों को अधिक होता है। इसका कारण वैज्ञानिक लोग अभी तक नहीं समझ पाए हैं। आजकल इस रोग के लिए बहुत सी औशधियां बाजार में मिलती हैं। जब यह रोग दवाओं से ठीक नहीं