जल ही जीवन है

Posted on 16-Jun-2016 10:46 AM




हमारे शरीर का दो-तिहाई अंश पानी होता है। हमारी मांसपेशियों के कुल वजन का 75 प्रतिशत, वसा का 14 प्रतिशत और अस्थियों का 22 प्रतिशत और कुछ नहीं, पानी ही होता है। खून का तो 95 प्रतिशत भाग पानी से ही बना होता है। हमारा शरीर रोज पानी ग्रहण भी करता है, उत्सर्जित भी। हम जो पानी पीते हैं, उसके अलावा विभिन्न भोज्य पदार्थों में मौजूद जलीय तत्व से भी शरीर को पानी प्राप्त होता है। साथ ही शरीर पसीने, श्वास, मल-मूत्र के माध्यम से पानी का उत्सर्जन भी करता रहता है। जाहिर है कि जब शरीर में पानी की इस कदर आवाजाही लगी रहती है, तो इसका संतुलन बनाए रखना जरूरी है। शरीर में पानी की कमी होने से कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। गर्मियों के इन दिनों में तो शरीर में पानी की कमी होने का खतरा बढ़ जाता है। पसीने के माध्यम से अत्यधिक पानी के शरीर से बाहर हो जाने के कारण रक्त की मात्रा में कमी आ जाती है। इसके चलते रक्त को गतिमान बनाए रखने के लिए हृदय को अधिक श्रम करना पड़ता है। रक्त में आई इस कमी की वजह से चक्कर आना, थकान और मांसपेशियों में जकड़न जैसी समस्याएँ भी पेश आती हैं। कारण यह कि रक्त ही शरीर के विभिन्न अंगों को ऑक्सीजन की आपूर्ति करता है। रक्त कम होगा तो सभी अंगों को मिलने वाली ऑक्सीजन में भी कमी आना लाजिमी है। पानी की कमी के कारण कई और परेशानियाँ भी होती हैं। भोजन से प्राप्त कैलोरीज को जलाने में पानी की भी अहम भूमिका होती है। इसकी मात्रा में कमी आने पर कैलोरीज को भस्म करने के लिए पर्याप्त पानी नहीं मिल पाता और वसा के कम ही अणु भस्म हो पाते हैं। यानी शरीर में चर्बी जमा होने का खतरा बढ़ जाता है। यही नहीं, शरीर में निरंतर चलने वाली अनेक रासायनिक क्रियाओं के कारण कुछ विषैले तत्वों का भी निर्माण होता है। इन्हें शरीर से निकाल फेंकने के लिए पानी की जरूरत होती है। पानी कम पड़ने पर ये विषैले तत्व शरीर में बने रहते हैं और कई तरह के रोगों का सबब बनते हैं। पानी हमारे जोड़ों, मांसपेशियों आदि में नमी बनाए रखता है। इसकी कमी से जोड़ों व मांसपेशियों में जकड़न, दर्द आदि हो सकता है। कहते हैं कि जल का सेवन करने से त्वचा भी कोमल बनी रहती है। पानी की कमी होने पर त्वचा रुखी और निस्तेज होने लगती है।


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