Posted on 09-Jul-2015 12:31 PM
आधा सीसी में - गाय के दूध का खोआ खाना या गाय के दूध में बादाम के टुकडे़ डालकर बनायी हुई खीर में शक्कर डालकर पिलाना चाहिये।
जीर्ण ज्वर पर- दूध में गाय का घी, सोंठ, छुहारा और काली दाख डालकर उसे आग पर उबालकर पिलाना चाहिये।
मूत्रकृच्छ और मधुमेह पर- दूध में घी अथवा गुड़ डालकर उसे थोड़ा गरम करके पिलाना अथवा गरम किया हुआ दूध घी के साथ बराबर शक्कर डालकर पिलाना चाहिये।
आँख उठी होने या जलन होने पर -गाय के दूध मे रूई को भिगोकर और उसके ऊपर फिटकिरी का चूर्ण डालकर आँख के ऊपर पट्टी बाँध देनी चाहिये।
आँख उठी होने या जलन होने पर -गाय के दूध मे रूई को भिगोकर और उसके ऊपर फिटकिरी का चूर्ण डालकर आँख के ऊपर पट्टी बाँध देनी चाहिये।
पित्त-विकार के ऊपर - सात तोला दूध लेकर उसमें आधा तोला से एक तोला तक सोंठ उबालकर खोआ बनाए, उसमें शक्कर डालकर गोली बना लें, और रात को सोने से पहले प्रतिदिन खिलायें। खाने के बाद पानी न पीने दे। इस प्रकार कुछ अधिक दिनों तक इसका सेवन करना चाहिये।
चेचक अथवा छोटी माता होने के कारण बालक के शरीर में आने वाले ज्वर के ऊपर - तुरन्त दुहे हुए दूध और घी को मिलाकर मिश्री डालकर पिलाये।
कफ पर - गर्म दूध में मिश्री और काली मिर्च का चूर्ण डालकर पिलाना चाहिये।
सिर के रक्तज और पित्तज रोगों पर - रूई की मोटी तह करके गाय के दूध में भिगोकर सिर के ऊपर रखें , उसके ऊपर पट्टी बाँध दे।इस प्रकार सवेरे से शाम तक रखे। शाम को सिर धो कर मक्खन लगायें - इस प्रकार दो-तीन दिनों तक करें।
नोट - भारतीय नस्ल की देसी गाय के दूध का ही प्रयोग करना चाहिये।