Posted on 23-Jul-2016 11:58 AM
रक्त में लाल रक्त कणिकाओं की तुलना में, सफेद कणिकाओं की संख्या बहुत ही कम होती है। सामान्यतः 500-600 लाल रक्त कणिकाओं में एक सफेद रक्त कणिका पायी जाती है। इनका आकार भी अपेक्षाकृत बड़ा होता है। रंग तो सफेद होता ही है, जिस कारण हम इसे सफेद रक्तकण कहते हैं। इनकी आकृति (रचना) किसी निश्चित आकार की नहीं होती है। ये आवश्यकता एवं परिस्थिति के अनुसार अपनी आकृति बदलती रहती है। यह इनकी विशेषता होती है। एक और विशेष गुण यह है कि ये स्वयं गतिशील हो सकती है। ये अवलेह (जैली) जैसा लुआबदार (लेसदार) पदार्थ की बनी होती है, जिससे संकरे से संकरे, तंग मार्ग से भी गमन करने में कठिनाई नहीं होती और सुगमता से निकलती जाती है। इसकी उत्पत्ति अस्थि मज्जा एवं लसीका ग्रंथियों (लीम्फाटीक ग्लैंड्स) दोनों स्थानों पर होती है। जहाँ लाल रक्त कणिकाओं में एक भी नाभिक नहीं होता, वहीं सफेद रक्त कोशिका में एक से अधिक नाभिक भी होते हैं।