Posted on 11-Jun-2016 11:22 AM
तुलसी के पौधे को हम बहुत पवित्र मानते हैं तथा उसकी पूजा करते हैं। आयुर्वेद में भी तुलसी को संजीवनी बूटी मान कर कई बीमारियों का इलाज बताया गया है। कहा जाता है कि जहां तुलसी का पौधा होता है वहां कोई बीमारी नहीं आती और न ही बुरे ग्रहों का असर होता है। परन्तु क्या आप जानते हैं कि तुलसी के पौधे के साथ कुछ सावधानियां रखनी चाहिए अन्यथा सौभाग्य को दुर्भाग्य में बदलते देर नहीं लगती। आइए जानते हैं, तुलसी से जुड़ी ऐसी ही कुछ बातें... तुलसी के पत्तों को कभी भी दांतों से नहीं चबाना चाहिए। आयुर्वेद के अनुसार तुलसी के पत्तों में पारा होता है जो दांतों को पूरी तरह गला सकता है। इसीलिए मंदिरों में भी तुलसी के साथ चरणामृत के रूप में जल दिया जाता है ताकि तुलसी के पत्तों को चबाए बिना सीधा निगल सकें। तुलसी के पत्तों में इतना पारा होता है कि अगर कोई व्यक्ति लगातार कुछ दिनों तक तुलसी के पत्ते काफी ज्यादा मात्रा में खाता रहे तो वह बीमार पड़ सकता है। रात को कभी भी तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए। इसके अलावा एकादशी, रविवार और सूर्य या चंद्र ग्रहण के समय भी पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए। ऐसा करने पर व्यक्ति को दोष लगता है। साथ ही तुलसी के पत्ते जरूरत होने पर ही तोड़ने चाहिए। अनावश्यक प्रयोग के लिए पत्ते तोड़ने पर भी भगवान नाराज होते हैं। तुलसी के पत्ते कभी भी भगवान शिव तथा गणेशजी की पूजा में इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार तुलसी ने भगवान शिव तथा गणेश दोनों को ही शाप दिया हुआ है। तुलसी के पौधे को कभी भी घर के अंदर नहीं लगाया जाना चाहिए वरन घर के आंगन में या बगीचे में लगाना चाहिए। इसके पीछे मान्यता है कि भगवान कृष्ण ने तुलसी को वचन दिया था कि उनका स्थान सदैव घर के बाहर परन्तु भगवान के ह्रदय में रहेगा।