Posted on 15-Jan-2016 02:33 PM
इमली के पेड़ ऊंचे और मोटे होते हैं। इसकी फली 6-8 इंच लंबी और चैड़ी होती है। पकने पर फली के अंदर काले रंग का कठोर बीज निकलता है।
यह खट्टी, भारी, वातनाशक व रुधिर विकार दूर करने वाली होती है।
उपयोेग -
अर्श (बवासीर) में पीड़ा होने पर इमली के फूल के रस को लगाने से शांति मिलती है। इमली के पानी के कुल्ले करने से गले की सूजन दूर होती है। आंखें दुख रही हों तो इमली के पत्तों को शीतल जल में भिगोकर बांधने से दुखती हुई आंखें ठीक हो जाती हैं।
इमली भी खाद्य पदार्थ को खट्टा बनाने में काम आती है। दक्षिण भारत में इमली का भोजन में विशिष्ट स्थान है। दक्षिण भारतीय खाद्य पदार्थों केे साथ इमली की बनाई गई रसम का प्रयोग अधिक किया जाता है। सांभर जो कि दाल और सब्जियों को मिलाकर बनाया जाता है इमली के बिना नहीं बनता।
आम के पने की तरह इमली का भी पना बनाया जाता है जो शरीर को शीतलता प्रदान करता है।
इमली के बीज अत्यंत शक्तिदायक और वीर्यवर्धक होते हैं। लगभग उन सभी आयुर्वेदिक औषधियों मंें इमली के बीजों का प्रयोग किया जाता है जो पौरुषहीन पुरुषों को बल प्रदान करती है।