ऐसे करें पेट के रोगों से बचाव

Posted on 13-May-2015 02:08 PM




गरमी के मौसम में पेट से संबंधित रोगों के मामले कुछ ज्यादा ही बढ़ जाते हैं। आयुर्वेद के अनुसार इस मौसम में शरीर में पित्त दोष की अधिकता होती है। पित्त का संबंध हमारे पाचन तंत्र से होता है। इसलिए पित्त की अधिकता से कई प्रकार के पेट के रोग जैसे- पेट दर्द, अम्लपित्त (एसीडिटी), आंतों में सूजन, अतिसार (दस्त), गैस और अफारा हो जाते हैं।
दूषित जल का दुष्प्रभाव
गरमी के मौसम में आमतौर पर दूषित जल व प्रदूषित भोजन के सेवन से पेट दर्द, हैजा, टाइफाइड, आंतों में इंफेक्शन आदि रोग हो जाते हैं। पानी की कमी (डीहाइड्रेशन) के कारण भी शरीर दर्द, बुखार आदि रोग हो जाते हैं। इसके अतिरिक्त लू लगना (सन स्ट्रोक) आदि स्वास्थ्य समस्याएं भी पैदा हो जाती हैं।
गरम तासीर के पदार्र्थों से परहेज
गरमी के मौसम में स्वस्थ रहने के लिए बहुत आवश्यक है शरीर में ठंडक बनाए रखना। चाय, काफी, मिर्च, गरम-मसाले, मांस (नॉन वेज), शराब, तंबाकू, खट्टे और गरम तासीर वाले भोजन का सेवन वर्जित है।
दिन भर में दो से तीन लीटर पानी पिएं। नारियल पानी, तरबूज, खरबूजा, खीरा, ककड़ी, आम का पना, सत्तू, ठंडे शर्बत (खस, गुलाब और चंदन) और ठंडाई का सेवन करना स्वास्थ्य के लिए हितकर है। पेट दर्द और पेट के रोगों का मूल कारण होता है अपच या अजीर्ण। पित्त की अधिकता से गरमी के मौसम में पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है। भोजन ठीक से नहीं पचता और आंतों में आम (एक विषैला पदार्थ) जम जाता है। इस कारण पेट में मरोड़, पेट दर्द, बार-बार मल त्याग के लिए जाना, आंतों में सूजन व जलन जैसे लक्षण पैदा हो जाते हैं।
पेट दर्द और पेट के अन्य रोगों से छुटकारा पाने के लिए इन नुस्खों पर अमल करें...
-सोंठ, जीरा, धनिया 10-10 ग्राम, पुदीना और सौंफ 20-20 ग्राम लेकर और इन्हें पीसकर चूर्ण बना लें। इसमें से एक-एक चम्मच भोजन के बाद पानी से लें।
-बेल का शर्बत दिन में दो बार पिएं।
- 1 चम्मच लवण भास्कर चूर्ण छाछ या मट्ठा के साथ लें।
-एक गिलास पानी में आधा नींबू, चुटकी भर काला नमक और आधा चम्मच भुना हुआ जीरा मिलाकर पिएं।
-सुबह खाली पेट 2 से 3 बड़े चम्मच एलोवेरा का गूदा खाएं।
-नीम के पत्तों का चू्र्ण 1/2 चम्मच दिन में दो बार सेवन करें।
-पिसा पुदीना 1 चम्मच, 1 चम्मच ताजा धनिया पीसकर और 1 चम्मच नींबू का रस, 1 कप पानी में मिलाकर लें।


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