Posted on 09-Nov-2015 03:42 PM
खराब जीवनशैली, जंकफूड व शारीरिक गतिविधियों के अभाव से मोटापें की समस्या होती है। इससे हृदयरोग, ब्लडप्रेशर, मधुमेह, हाई कोलेस्ट्राॅल जैसे रोगों का खतरा बढ़ जाता है। मोटापा कम करने के लिए नियमित व्यायाम के साथ कम कैलौरीयुक्त चीजें लेेने की जरूरत होती हैं। जानते है इसके बारे में-
फलों से घटेगा वजन
मौसमी: रोजाना मौसमी का सेवन वजन घटाने में सहायक है। एक अध्ययन के अनुसार इसके जूस को रोजाना पीने से डाइट में बदलाव किए बगैर भी वजन कम किया जा सकता है।
केला: इसमें मौजूद स्टार्च कार्बोहाइडेªटस जमा नही होने देता। साथ ही पोटेशियम मांसपेशियां मजबूत बनाता है और मोटापा कम करता हैं।
अनार: यह एंटीआॅक्सीडेंट्स से भरपूर होता है जो शरीर से विषैले पदार्थ निकालने का काम करता है। इसमें मौजूद पाॅलीफिनोक्स मेटाबाॅलिज्म सुधारने में मदद करता है।
पपीता: यह कम कार्बोहाइडेªट वाला फल है जो वजन घटाता है। शरीर का तापमान नियंत्रित रखता है और काॅलेस्ट्राॅल का स्तर कम करने में सहायक है। इससे नर्वस सिस्टम को भी ऊर्जा मिलती है।
नाशपती: एक नाशपती में सामान्यतः 20 ग्राम हैल्दी फैट होता है जो मेटाबाॅलिज्म बढ़ाता है और साथ ही वजन कम करने वाले हार्मोन का निर्माण करता है।
ड्राईफ्रूटस के फायदे:-
सूखे मेवे: किशमिश, काजू, व छुहारे को ताजा फलों के साथ खाने से वजन घटता है। इनमें मौजूद मिनरल्स व विटामिन, कोशिकाओं की क्षमता बढ़ाते है व रोग प्रतिरोधक तंत्र मजबूत करते है।
नारियल: इसमें एमसीएफए होता है जो मेटोबाॅलिज्म को सुधारता है। इसके सेवन से पेट लंबे समय तक भरा रहता है। थायराॅइड ग्रंथियोें के लिए कोकोनट आॅयल बेहद फायदेमंद है।
सब्जियों का भरपूर प्रयोग:-
टमाटर: विटामिन-सी से भरपूर टमाटर में पाया जाने वाला अमीनों एसिड मोटापें को कम करने में सहायक है। कार्डियोवैस्क्युलर रोगियों के लिए टमाटर काफी फायदेमंद है।
फलियां: ये प्रोटीन व फाइबर का बेहतरीन स्त्रोत है। इसकी सब्जी खाने के बाद लंबे समय तक भूख का अहसास नहीं होता जिससे ओवरईटिंग नहीं होती और शरीर में केलौरी की कम मात्रा पहुंचती है।
पालक: इसमें कैल्शियम आयरन, मैग्नीशियम, फाॅस्फोरस, विटामिन-ए, बी-6, सी व के पाए जाते है। यह वजन घटाने में अहम भूमिका निभाता है। साथ ही हड्डियों की मजबूती के लिए फायदेमंद है।
हरी सब्जियां: इनमें कम कैलोरी, ज्यादा फाइबर व विटामिन होते है। ये हृदय रोग की आशंका को कम करती है और साथ ही रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।