Posted on 04-Jul-2016 05:07 PM
रोज एक-दो टमाटर खाने से डाॅक्टर की आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी। आजकल पुरी दुनिया में टमाटर का उपयोग भारी मात्रा में होता है। आलू और शकरकंद के बाद, समग्र विश्व मंे, उत्पादन की दृष्टि से टमाटर का क्रम आता है। टमाटर में आहारोपयोगी पोषक तत्त्व काफी मात्रा मंे होने के कारण ये हरी साग-भाजियों में एक फल के रूप में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।
टमाटर भारत में सर्वत्र होते हैं। ये बलुई से लेकर सभी प्रकार की जमीन में होते हैं। परंतु इसे कठोर, क्षार या रेतवाली जमीन अनुकूल नहीं पड़ती। टमाटर सख्त ठंडी को सहन नहीं कर सकते। भारी वर्षावाली और ठंडी ऋतु को छोड़ किसी भी ऋतु में इसके बीजों की पनीरी बनाकर इसे उगाया जा सकता है। सामान्यतः वर्ष में दो बार, वर्षा ऋतु में और शीतकाल में (मई-जून तथा अक्तूबर- नवम्बर मास में) टमाटर बोये जाते हैं। यद्यपि बाजार में तो ये वर्षभर मिलते हैं। टमाटर के पौधे दो से चार फुट ऊँचे बढ़ते हैं। शाखाओं पर अंतर से पर्ण लगते हैं। इसके पत्ते बैंगन के पत्तों की अपेक्षा छोटे होते हैं। टमाटर के बीज बैंगन या मिर्च के बीज से मिलते-जुलते होते हैं। इसके पौधे हल्के धुँधले रंग के दीखते हैं। उनमें से कुछ उग्र और खराब बदबू आती है। टमाटर की कई किस्में होती हैं। इनकी आकृति, रंग और स्वाद भिन्न-भिन्न होते हैं। टमाटर जितने बड़े हों उतने ही गुण में उत्तम होते हैं। कच्चे टमाटर हरे रंग के, खट्टे और पचने में हल्के होते हैं, परंतु जब ये पकने लगते हैं तब चमकते-तेजस्वी लाल रंग के होते हैं। आलू या शकरकंद की सब्जी में टमाटर डालकर बनाई हुई मिश्र तरकारी स्वादिष्ट होती है। गुड़ या शक्कर डालकर बनाया हुआ टमाटर की सब्जी खटमीठी, अत्यंत स्वादिष्ट, रुचिकर और पाचक होती है।