Posted on 14-May-2015 02:34 PM
सरसों का तेल हृदय रोगों से बचाता है और इसके कुछ गुण जैतून तेल की तरह होते हैं। सरसों के तेल में असंतृप्त (अनसैचूरेटेड) वसा अम्लों की मात्रा अधिक होती है तथा संतृप्त (सैचूरेटेड) वसा अम्लों की मात्रा बहुत कम लगभग सात प्रतिशत होती है। भोजन मेें संतृप्त वसा अम्लों के सेवन से रक्त धमनियां संकरी हो जाती हैं जिससे हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है। इस तेल में ओलिक अम्ल भी पाया जाता है जो इसकी गुणवत्ता को लंबे समय तक बनाए रखता है। सरसों के तेल में दो आवश्यक वसा अम्ल लिनोलीक और लिनोलेनिक भी पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है जिसे मानव शरीर नहीं निर्मित कर सकता। सरसों या राई की भारतीय किस्मों में इरूसिक अम्ल की मात्रा कुल वसा अम्लों की तुलना में 40-50 प्रतिशत से कम मात्रा स्वीकार्य है। इरूसिक अम्ल के अधिक सेवन से वयस्को में मायोगार्डियल फाईब्रोसिस तथा बच्चों में लिपिडोसिस बीमारी का खतरा बढ़ जाता है। गुणवत्ता को लंबे समय तक बनाए रखता है। सरसों के तेल में दो आवश्यक वसा अम्ल लिनोलीक और लिनोलेनिक भी पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है जिसे मानव शरीर नहीं निर्मित कर सकता। सरसों या राई की भारतीय किस्मों में इरूसिक अम्ल की मात्रा कुल वसा अम्लों की तुलना में 40-50 प्रतिशत से कम मात्रा स्वीकार्य है। इरूसिक अम्ल के अधिक सेवन से वयस्को में मायोगार्डियल फाईब्रोसिस तथा बच्चों में लिपिडोसिस बीमारी का खतरा बढ़ जाता है।