Posted on 29-Jul-2015 04:53 PM
अलसी हमारे रक्तचाप को संतुलित रखती है। अलसी हमारे रक्त में अच्छे काॅलेस्ट्राॅल की मात्रा को कम करती है। अलसी दिल की धमनियों में खून के थक्के बनने से रोकती है और हृदयाघात व स्ट्रोक जैसी बीमारियों से बचाव करती है। अलसी सेवन करने वालों को दिल की बीमारियों के कारण अकस्मात मृत्यु नहीं होती। हृदय की गति को नियंत्रित रखती है और वेन्ट्रीकुलर एरिया से होने वाली मृत्युदर को बहुत कम करती है। अलसी में लगभग 18-20 प्रतिशत ओमेगा-3 फैटी एसिड होते हैं। अलसी ओमेगा-3 एसिड का पृथ्वी पर सबसे बड़ा स्रोत है। हमारे स्वास्थ्य पर अलसी के चमत्कारी प्रभावों को भली भांति समझने के लिए हमें ओमेगा-3 व ओमेगा-6 फेटी एसिड को विस्तार से समझना होगा। ओमेगा-3 व ओमेगा-6 दोनों ही हमारे शरीर के लिये आवश्यक हैं यानी ये शरीर में नहीं बन सकते, हमें इन्हें भोजन द्वारा ही ग्रहण करना होता है। ओमेगा-3 अलसी के अलावा मछली, अखरोट, चिया आदि में भी मिलते हैं। ओमेगा-6 मूंगफली, सोयाबीन, सेफ्लावर, मकई आदि तेलों में प्रचुर मात्रा में होता है। ओमेगा-3 हमारे शरीर के विभिन्न अंगों विशेष तौर पर मस्तिष्क, स्नायुतंत्र व आँखों के विकास व उनके सुचारु रुप से संचालन में महत्वपूर्ण योगदान करते हैं। हमारी कोशिकाओं की भित्तियां ओमेगा-3 युक्त फोस्फोलिपिड से बनती हैं। ओमेगा-3 की कमी 30-60 ग्राम अलसी से पूूरी कर सकते हैं। ये ओमेगा-3 ही अलसी को सुपर स्टार फूड का दर्जा दिलाते हैं।
अलसी में महत्वपूर्ण पौष्टिक तत्व लिगनेन होता है। अलसी लिगनेन का सबसे बड़ा स्रोत हैं। अलसी में लिगनेन अन्य खाध्यानों से कई सौ गुना ज्यादा होते हैं। लिगनेन एन्टीबैक्टीरियल, एन्टीवायरल, एन्टीफंगल और कैंसर रोधी है और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। लिगनेन काॅलेस्ट्रोल कम करता है और ब्लड शुगर नियंत्रित रखता है। लिगनेन सचमुच एक सुपर स्टार पोषक तत्व है। लिगनेन पेड़ पौधों में ईस्ट्रोजन यानी महिला हारमोन के तरह कार्य करता है। रजोनिवृत्ति के बाद महिलाओं में ईस्ट्रोजन का स्त्राव कम हो जाता है और महिलाओं को कई परेशानियां जैसे हाॅट फ्लेशेज़, ओस्टियोपोरोसिस आदि होती हैं। लिगनेन इन सब में बहुत राहत देता है। लिगनेन में प्रोस्टेट, बच्चेदानी, स्तन, आंत, त्वचा आदि के कैंसर से बचाता हैं।