हम सुनते कैसे है

Posted on 07-Jun-2015 02:35 PM




कान से हम सुनते हैं, इससे ध्वनि की पहचान करते हैं। कान के अन्दर विशेष प्रकार के अंग होते हैं जिससे हमें ध्वनि संतुलन की स्थिति का पता चलता है। इसके आन्तरिक भाग का सम्बन्ध का कापालिक तंत्रिका के आठवें जोड़े से होता है। इसकी दो शाखाएँ होती हैं। एक शाखा कोक्लिया को मस्तिष्क के श्रवण केन्द्र से जोड़ती है, जिसे श्रवण तंत्रिका कहते हैं। दूसरी शाखा कान के अर्द्धचन्द्राकार भाग को लघु मस्तिष्क से सम्बद्ध करती है। कान के बाह्म भाग के द्वारा ध्वनि-तरंग एकत्र होकर बाहर से भीतर की ओर क्रमशः बाह्य, मध्य और अन्तःकर्ण तक पहुँचती है। ध्वनि संवेदना में परिवर्तित होकर तंत्रिका द्वारा मस्तिष्क के श्रवण केन्द्र को प्रभावित करती है, जिसके परिणाम स्वरूप श्रुतिबोध (सुनने का ज्ञान) होता है। कान के मुख्य तीन भाग हैं - 1. बाह्य कर्ण 2. मध्य कर्ण 3. अन्तः कर्ण तक पहुँचती है। 


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