Posted on 26-Jul-2016 02:14 PM
प्राकृतिक चिकित्सा में उच्च रक्त चाप का निदान बड़े ही वैज्ञानिक तरीके से किया जाता है और किसी भी अन्य तरह की दवाएँ या नुकसान पहुँचाने वाली, हानि करने वाली कोई वस्तु प्रयोग में नहीं ली जाती है।
उच्च रक्त चाप के कारण-
1. मानसिक तनाव
2. मेहनत व व्यायाम का अभाव
3. ज्यादा नमक व चीनी का प्रयोग
4. धुम्रपान व मद्यपान व कवाब का प्रयोग
5. दवाओं का अधिक प्रयोग
6. हार्मोन्स की दवाओं या गर्भ निरोधक गोलियों का लम्बे समय तक प्रयोग
7. ज्यादा तेल व वसा का प्रयोग
9. भिण्डी, रतालु, अरबी का ज्यादा प्रयोग
10. मैदा, बेसन, बाजारू मिठाइयाँ
11. ज्यादा तली भुनी वस्तुओं का प्रयोग।
निवारण -
1. सबसे प्रमुख चिकित्सा वही है जिसमें कारण का निवारण होता है। यानी उन कारणों का दूर करें जिनसे उच्च रक्त चाप होता है।
सहायक उपचार -
1. उच्च रक्त में 2-3 गिलास पानी (ठंडा) पिलावें
2. मुँह में किसमिस या मुनक्का (दाख) रखें 5-7 नग, जिसको चूसते रहंे दिन में 3-4 बार
3. मौसमी रस। संतरे के रस का बराबर सेवन करें।
4. सौंफ का पानी, सेव, अनार, आँवला का सेवन करें।
प्राकृतिक उपचार -
1. दोनों पैरों का गरम-ठंडा स्नान
2. दोनों पैरों का गरम स्नान
3. रीढ़ का ठंडा स्नान
4. रीढ़ व सिर पर बर्फ की मालिश
5. मेहन स्नान (जननांग स्नान)
6. सिर, पेट व पीठ की मिट्टी पट्टी
7. सर्नाग मिट्टी स्नान
8. गुनगुनी धूप का सेवन
9. सुबह नंगे पैर दूब में घूमना
10 . जकू जी , ठंडा कटीस्नान।
यौगिक उपचार -
1. शीतली, शीतकारी, प्राणायाम
2. भ्रामरी व चन्द्र भेदी प्राणायाम
3. ओउ्म उच्चारण
4. उत्तान पादासन, पवन मुक्तासन
5. पर्वतासन, भुजंगासन, नौकासन
6. सिद्धासन, पद्मासन।
भोजन उपचार/आहार उपचार (आहार उपचार (सब्जी)) -
1. टिण्डा, लौकी, परवल, धनिया, पुदीनहरा, तोरई, खीरा, पेठा, फालसा, प्याज व लहसुन का रस। फल-फालसा, केला, संतरा, मौसमी, अनार, सेव, नाशपती, पपीता, लीची, गुज़बेरी, ब्लैक बेरी, रात्रि का भीगा हुआ मुनक्का, बादाम, मूंगफली इत्यादि, सोयाबीन का दही व छाछ, तरबूज के बीज, खसखस आदि का प्रयोग रस या सूप, सलाद के साथ व मिक्स करके भी ले सकते हैं।